प्रशासनिक पारदर्शिता की बात हो या शासन व्यवस्था के जरिए देश को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास। ब्यूरोक्रेट्स की भूमिका हमेशा ही अहम होती है। अपने परिवार, सामाजिक जिम्मेदारियों से परे ब्यूरोक्रेट्स की जिंदगी एक जिम्मेदारी भरा सफर होती है। एक ऐसा सफर जिसमें सिलसिला है, संपूर्णता का। एहसास है, विकास का। विश्वास है देश को आगे बढ़ाने का।
ब्यूरोक्रेट्स को यही सम्मान दिया है ऑफिसर्स टाइम्स के सम्माननीय पाठकों ने। ऑनलाइन पोल के जरिए जब देश को चलाने वालों के बारे में हमने जानने की कोशिश की, तो परिणाम जबरदस्त आए। इस पोल में 70 फीसदी पाठकों ने माना की देश को ब्यूरोक्रेट्स चलाते हैं। दूसरे नम्बर पर रहा आम आदमी। जिसे देश चलाने का क्रेडिट दिया 26 फीसदी पाठकों ने। महज 4 फीसदी पाठकों ने माना की देश चलाने में नेताओं का भी हाथ होता है।
इस पोल के जरिए सवाल पूछा गया था कि देश कौन चलाते हैं? इस सवाल के जवाब में तीन विकल्प उपलब्ध करवाए गए थे। इन विकल्पों में ब्यूरोक्रेट्स , नेता और आम आदमी शामिल थे। इसी सवाल के जवाब में 70 फीदसी पाठकों ने ब्यूरोक्रेट्स को चुना है।
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