अनंतनाग (जम्मू-कश्मीर)। भारतीय पुलिस सेवा के युवा अधिकारी संदीप चौधरी जम्मू में इन दिनों खास चर्चा में हैं। संदीप चौधरी फिलहाल अनंतनाग में बतौर एसएसपी सेवाएं दे रहे हैं और समय निकाल कर ऑपरेशन ड्रीम्स पर काम कर रहे हैं। संदीप चौधरी का ऑपरेशन ड्रीम्स जरूरतमंद बच्चों के लिए मिसाल बनकर उभरा है। इस प्रोजेक्ट के तहत संदीप बच्चों को मुफ्त में कोचिंग देते हैं ताकि बच्चे पढ़-लिख कर जीवन में कामयाब हो सकें।
जीवन में संघर्षों पर जीत हासिल करके भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी तक पहुंचे संदीप चौधरी जुझारू, ईमानदार और कर्मठ विद्यार्थियों के हालातों से परे उनकी कामयाबी के सपनों को सच करने में मदद कर रहे हैं। महज 10 जरूरतमंद विद्यार्थियों से शुरू हुआ आईपीएस संदीप का सफर सौ के आंकड़े को पार कर चुका है।
आर्थिक रूप से अक्षम बच्चों को पढ़ाने की यह शुरूआत 2018 में हुई। बत संदीप दक्षिण जम्मू में सेवाएं दे रहे थे। इस समय सब इंस्पेक्टर की तैयारी करने वाले बच्चे उनके संपर्क में आए, जिनके पास कोचिंग के पैसे नहीं थे। इन्हीं बच्चों के साथ मिलकर संदीप ने ऑपरेशन ड्रीम्स शुरू किया और देखते ही देखते बच्चे चयनित होने लगे। आलम यह है कि पिज्जा डिलिवरी करने वाला लड़का भी संदीप की कोचिंग की वजह से आज जम्मू-कश्मीर पुलिस में एसआई बना।
खुद लम्बे संघर्ष से यहां तक पहुंचे संदीप का मानना है कि जिन मुश्किल हालातों से वह 2004 के बाद गुजरे उनमें संघर्ष कठिन था। तब फरवरी में पिता का हार्ट अटैक से देहांत हो गया। 12वीं कक्षा थी और पिताजी के देहांत के छह दिन बाद ही बोर्ड की परीक्षा भी, लेकिन संदीप ने मजबूती दिखाई और पास भी हुए। इस कठिन दौर की शुरूआत के साथ ही संदीप ने तय किया कि आगे की पढ़ाई इग्नू से करेंगे और बचे हुए समय में ट्यूशन पढ़ाएंगे। साधारण दिनचर्या के साथ ट्यूशन का कामकाज और अपनी पढ़ाई, तैयारी संदीप ने जारी रखी। पहले प्रयास में रेलवे में फेल हुए, तो अगले ही प्रयास में भारतीय डाक सेवा में बतौर कलर्क परीक्षा को टॉप किया और नौकरी पकड़ी। कई पड़ावों से होकर गुजरे संदीप कहते हैं, इसी के बाद मेरा झुकाव पत्रकारिता को लेकर हुआ। 'मैंने दाखिला भी लिया और यदा-कदा मेरे आलेख भी समाचार पत्रों में प्रकाशित होने लगे थे। लेकिन आगे की पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लक्ष्य के चलते मुझे पत्रकारिता की पढ़ाई छोडऩी पड़ी। पब्लिक एड में मास्टर्स किया और नेट क्लीयर किया। फिर क्या था एक के बाद एक परीक्षाएं जिनमें बैंक पीओ, एसएससी, बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट और नाबार्ड सहित कई परीक्षाएं मैंने अपने कॉन्फिडेंस और मजबूत तैयारी से क्लीयर की। सिलसिला थमा नहीं मुझे लगा यूपीएससी भी देना चाहिए। दिन में नौकरी, रात को पढ़ाई सिलसिला चलता रहा, परिणाम यह आया कि 2012 बैच में मुझे इंटरव्यू में देश में सर्वाधिक अंक मिले।'
'आज मैं देश की सेवा कर पा रहा हूँ, लेकिन अपने संघर्ष और उस सफर के दर्द को भूला नहीं हूँ। मुझे लगता है कि मेरे जैसे जरूरतमंद बच्चों का सही समय पर मार्गदर्शन किया जाए, तो वह भी अपने जीवन में विशेष सफलताएं हासिल कर सकते हैं।'
- प्रवीण जाखड़
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