मैं जैसा था, वैसा ही हूं ! - टी. रविकान्त

दो संस्कृतियों का संपूर्ण मिलन है आईएएस टी. रविकान्त का खुशहाल परिवार। दक्षिण के संस्कार और उत्तर की मर्यादाएं उनके घर के हर कोने में बसती हैं। दो लाडली बेटियों की चहचहाहट कुछ ऐसी है, जैसे किसी बगीचे में सुनहले पंखों वाले नन्हे खूबसूरत पक्षियों की रौनक हो। 1998 बैच के आईएएस टी. रविकान्त ने ऑफिसर्स टाइम्स के साथ बांटे अपनी जिंदगी के अनछुए पल। बातें अनकही सी रविकान्त की जुबानी-
पॉपकॉर्न बेचारा उपेक्षित है!
पॉपकॉर्न जितना डिजर्व करता है, उतना अटेंशन बेचारे को नहीं मिल पाता। मुझे लगता है बेचारा उपेक्षित ही रहता है। हम ही उसे अवॉइड करते हैं। मूवी देखते हैं, तो हमारा ध्यान मूवी में होता है। वहां भी अवॉइड होता है। मूवी के दौरान हम उसकी शक्ल तक नहीं देख पाते। देखने में कैसा दिखता है? कितना सिका है? सही मायने में हम उसकी परवाह चाह कर भी नहीं कर पाते। ...लेकिन फिर भी मूवी के दौरान पॉपकॉर्न सबको खुश तो रखता ही है।
सच्चे दोस्त जरूरी
मैंने हमेशा ही माना है कि हमारे क्वालिटी दोस्त होने चाहिए, क्वांटिटी नहीं। कम हों, लेकिन सच्चे दोस्ते हों, तो जिंदगी की छोटी-बड़ी खुशियां उनके साथ बांटी जा सकती हैं। सच कहंू, तो सच्चे दोस्त के बिना जिंदगी अधूरी रहती है और अच्छे दोस्त से हर कमी पूरी हो जाती है।
मेरे तीन अपने, सबसे करीब
मां, दीदी और वंदना मेरे सबसे करीब हैं। मैंने मां से ही त्वरित निर्णय लेने और रिस्क लेने की क्षमताओं को जाना है। यह दोनों ही बातें, मुझे कामकाज में भी बेहद सहयोग करती हैं। बड़ी दीदी ने हमेशा मुझे लाड-प्यार से रखा। मेरी पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने मेरी बहुत मदद की। ...और वंदना उनके बिना तो मैं अधूरा हूँ। सही बताऊं, तो शादी के बाद भी मैं जैसा था, वैसा ही हूँ। कुछ नहीं बदला मुझमे। इसका सारा क्रेडिट वंदना को ही है।
यूबी40 और बॉब मार्ले मेरे फेवरेट
म्यूजिक के मामले में यूबी40 और बॉब मार्ले मेरे फेवरेट हैं। 1960 में जमैका में विकसित हुई संगीत की शैली रेगे भी मुझे बेहद पसंद है। लेटेस्ट म्यूजिक भी सुनता हूँ।

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Officers Times - RNI No. : RAJHIN/2012/50158 (Jaipur)

1 comments:

  1. Really sir aap aj bhi vese hi he jese 5 sal pahle the.

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