आप किसी भी मनुष्यों के समूह में पूछ कर देख लीजिए - क्या जीवन में आप लोगों को कभी बहुत अधिक निराशा मिली है और इसके चलते आपने अपने उद्देश्यों के लिए अपनी यात्रा को बीच में ही रोकने का फैसला कर लिया था और मंजिल से आप लगभग भटकने की स्थिति में आ गए थे? कुछ अपवादों को छोड़कर आपको इसका जवाब प्राय “हां” ही मिलेगा और कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि वह केवल भटकने की स्थिति में नहीं थे; बल्कि वे तो भटक ही गए थे I जब हम इसके कारण की खोज करेंगे तो हमारे सामने यह निष्कर्ष आने लगता है कि जीवन के अनेक अवसरों पर हमें तनाव अथवा असफलता की विभिन्न प्रकार की स्थितियों का सामना करना पड़ता है और अपनी खुद की ढूंढी हुई किसी ना किसी कमजोरी को हम अपने दिमाग में इतना ज्यादा स्थान दे देते हैं कि हम उसके दूसरे पहलू को समझ ही नहीं पाते हैंI हमारे यहां बहुत प्रसिद्ध पंक्ति है - 'मन के हारे हार है और मन के जीते जीतI' यह केवल पंक्ति मात्र नहीं है, क्योंकि हम में से हर एक ने अपनी जिंदगी के किसी ना किसी मोड़ पर इस को चरितार्थ होते हुए देखा भी हैI आपको केवल किताबों में ही नहीं बल्कि अपने आसपास भी ऐसे बहुत सारे कहानी और किस्से मिल जाएंगे जहां पर लोगों ने यह साबित किया है कि उन्होंने विभिन्न माध्यमों से अपने मन को जीत कर अपने रास्ते में आई तमाम बाधाओं को पार करते हुए मंजिल को पाया हैI
एक बार एक लड़का था जो बिना बांई बाजू के पैदा हुआ और उसकी इस शारीरिक कमी के कारण उसे हमेशा लोगों से सहानुभूति ही मिलती थी I उस लड़के के दिलों दिमाग में एक ही बात आती थी कि क्या मेरा जीवन इसी प्रकार लोगों से दया वाली दुआएं लेने में ही कट जाएगा अथवा मेरे जीवन में कुछ मैं भी ऐसा कर पाऊंगा - जिसके लिए लोग मुझे मेरी वजह से और मेरे नाम से जाने I उसके मन में जूडो सीखने की तीव्र इच्छा पैदा हुई और उसने एक उस्ताद के पास जाकर जूडो सिखाने की फरियाद की I एक ही नहीं कई उस्तादों के पास जाने के बाद भी उसे इन्कार के रूप में जवाब मिला और सब किसी ने उसे यही कहा कि भगवान ने तुम्हें इस लायक पैदा नहीं किया है कि तुम जूडो खेल के साथ जुड़कर उसके साथ न्याय कर सको I और फिर किस्मत से उसे जूडो के एक ऐसे उस्ताद से मिलने का मौका मिल गया, जिसने उसको देखते ही बोल दिया कि तुम प्रयास कर सकते हो I उस्ताद ने उसे पहले दिन से ही एक दांव सिखा दिया और बहुत अच्छे से समझा दिया कि तुम्हें लगातार इसी दांव का ही अभ्यास करना है I काफी दिन तक उस्ताद की बात मानते हुए उसने वैसा ही किया और कुछ हफ्तों बाद उसने उम्मीद भरी निगाहों से अपने उस्ताद की तरफ देखा तो फिर से वही जवाब मिला कि उसी दांव की प्रैक्टिस करते रहो I अपनी काबिलियत में अपने उस्ताद के विश्वास को देखते हुए वह भी यही करता रहा और एक बड़े टूर्नामेंट में भाग लेने का मौका मिल गयाI जब उसने शुरू में पहला मुकाबला जीता तो किसी को कोई खास बात नहीं लगी; परंतु जब एक के बाद एक मुकाबला जीतते हुए वह फाइनल में पहुंचा तो देखने वालों की भीड़ लग गई और लोगों ने उसे अपने कंधों पर ही बिठा लिया जब फाइनल में भी वह जीत गया I आपकी ही तरह अनेक लोगों के दिमाग में एक ही सवाल था कि आखिर ऐसा कैसे संभव है? उस्ताद ने जो जवाब दिया वह सुनने वाला है और हम में से बहुत सारे लोग उससे प्रेरणा भी पा सकते हैं I उस्ताद ने सब की उत्सुकता को शांत करते हुए बताया - “एक तो मेरे शिष्य ने मेरी बात को मानते हुए लगातार एक विशेष दांव में महारत हासिल कर ली थी और दूसरा राज यह है कि इस गांव का सामने वाले प्रतिद्वंदी के पास एक ही इलाज होता है कि वह इस दांव को खेलने वाले इंसान की बाई बाजू पकड़कर उसे फेंक डाले I” आप सब यह समझ ही गए होंगे कि अब इस उस्ताद के शिष्य के विरुद्ध यह विकल्प किसी भी प्रतिद्वंदी के पास होता ही नहीं था I संदेश बिल्कुल स्पष्ट है कि अगर मन में ठान लिया जाए तो किसी भी कमजोरी को अपनी सबसे बड़ी शक्ति बनाया जा सकता हैI
एक छात्र, जो अपनी जिंदगी में स्कूल या कॉलेज के छोटे-मोटे इम्तिहान पास करने में दिक्कत महसूस करता था; एक दिन वह अपने जज्बे को इतना मजबूत कर लेता है कि भारत के सबसे बड़े सिविल सर्विस जैसे घमासान में कूद जाता है और इतनी मेहनत करता है कि अच्छी पोजीशन पा जाता है I छोटी-मोटी नौकरी से निकाल दिया हुआ एक व्यक्ति एक बहुत ही छोटी सी शुरुआत करता है और धीरे-धीरे एक कंसिस्टेंट बल्लेबाज की तरह अपनी पारी खेलता हुआ उस छोटी सी शुरुआत को एक बहुत बड़े व्यापार में बदल देता है और लोग उसकी सफलता की कहानियां सुनाने लगते हैं I एक कमजोर सा गांव का लड़का दूसरे लड़कों को खेतों के बीच दौड़ते हुए देखता है और पहले पहल तो उनके साथ यूं ही मजे-मजे में दौड़ने लगता है I उस समय उसे शायद ठीक से यह भी पता नहीं होता है कि वह क्यों दौड़ रहा है, परंतु जिस दिन आर्मी की भर्ती उसके गांव में होने लगती है; वह सबसे अव्वल आता है और बड़ी जल्दी देश की सेना में भर्ती होकर अपने गांव का मान बढ़ाता है I इस तरह की कहानियां तो हमने अपने आसपास के लोगों से सुनी हैं या फिर कुछ देखी भी है I एक कहानी इस देश के युवाओं को पिछले कम से कम 45 सालों से सुनाई जा रही है और वह कहानी है हमारी इस सदी के महानायक श्री अमिताभ बच्चन जी कीI बताते हैं कि जब वे अपने एक्टिंग के कैरियर को आजमाने के लिए मुंबई में थे; उस समय पूरी तरह नाकाम होने के बाद वापस जाने की तैयारी में थे और अचानक एक फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने उन्हें बॉलीवुड में न केवल स्थापित कर दिया बल्कि इसका बादशाह बना डाला I इन सारे किस्से कहानियों से यह बात पूरी तरह साबित हो जाती है कि जिस भी व्यक्ति ने अपने मन में हार को स्वीकार नहीं कर के किसी भी प्रकार से लगातार प्रयास करने की ठानी है, उसने अपनी मंजिल को बहुत अच्छे से प्राप्त किया है और दूसरों के लिए उदाहरण भी बन गया हैI धीरूभाई अंबानी की कहानी सारे लोगों ने सुनी भी है और पिछले दशक में मणिरत्नम द्वारा निर्देशित ‘गुरु’ फिल्म के माध्यम से उस कहानी को हम सब ने सुनहरे पर्दे पर भी देखा हैI उस धीरूभाई अंबानी के दो बेटों में से एक बेटा आज विश्व के सर्वश्रेष्ठ धनवान लोगों में शामिल है और वही दूसरा बेटा बैंकों का ऋण भी चुकाने में असमर्थ हैI कहीं ना कहीं इस प्रकार की कहानियां हमारे अंदर मेहनत के प्रति जोश पैदा करती हैं और सही अवसर का लाभ उठाने की प्रेरणा भी दे डालती हैI हम हमेशा उसी प्रकार की दुनिया में रहते हैं जिस प्रकार की दुनिया को हम बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैंI यह बात भी गलत नहीं है कि व्यक्ति की जिंदगी को खुशनुमा बनाने में उसकी किस्मत का भी काफी बड़ा रोल होता है लेकिन किस्मत भी तभी काम करती है जो व्यक्ति उसे मेहनत के साथ मिलाकर सही रेसिपी के साथ तैयार करता है I तमाम तरह के कंपीटेटिव एग्जाम की तैयारी करने वाले और किसी नई विचारधारा के साथ कर्जे के बल पर स्टार्टअप शुरू करने वाले इस बात को कितना बखूबी समझने लग जाते हैंI
कई लोग इस प्रकार के भी होते हैं कि उन्हें अपनी किस्मत से चीजें मिल रही होती हैं और फिर उन्हें केवल अपनी मेहनत के द्वारा उन चीजों को आगे के लिए संधारित करना होता है ; परंतु वह इस अच्छी शुरुआत का पूरी तरह से फायदा उठाने में नाकाम रहते हैंI आप लोगों ने क्रिकेट का खेल काफी बार देखा होगा और हम देखते हैं कि कई बार ओपनिंग बल्लेबाज अपनी टीम को बहुत अच्छी शुरुआत दे देते हैं और काफी कम ओवर में ही काफी अच्छा खेल खेल कर बहुत अच्छी एवरेज के साथ रन बना रहे होते हैं, जिससे टीम की जीत के आसार बढ़ जाते हैंI दुर्भाग्य से उनके मैदान से चले जाने के बाद आने वाले खिलाड़ी उनकी इस अच्छी शुरुआत को आगे नहीं बढ़ा पाते हैं और टीम उस मुकाम पर नहीं पहुंच पाती है; जहां पर पहुंचने का ओपनिंग बल्लेबाजों ने फाउंडेशन रख दिया होता हैI क्या आपने सोचा है कि कई बार अच्छी पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी केवल इसलिए बहुत ज्यादा सफल नहीं हो पाते हैं क्योंकि किस्मत उनके पढ़े हुए को परीक्षा में प्रश्न पत्र का भाग नहीं बनाती है I एक बार एक व्यक्ति ने भगवान से कल्पवृक्ष की इच्छा प्रकट की थी और भगवान ने उसकी इच्छा को पूरा करते हुए उसे कल्पवृक्ष के नीचे बिठा दियाI भगवान के आशीर्वाद को जांचने के उद्देश्य से उस व्यक्ति ने कहा कि मुझे इस समय बहुत भूख लगी हुई हैI उसके कहने की ही देर थी कि वहां शानदार दस्तरखान पर अनेक स्वादिष्ट व्यंजन सच में प्रकट हो गए और उस व्यक्ति ने खूब खायाI इसके बाद उसे लगा कि कुछ पीने को भी होना चाहिए तो उसके लिए स्वादिष्ट पेय पदार्थ हाजिर हो गएI इस प्रकार बिना किसी ज्यादा मेहनत के खाने पीने को मिलने पर उस व्यक्ति के दिमाग में अलग प्रकार के विचार आने लगे I उसने यह सोचना शुरू कर दिया कि जरूर कोई ना कोई गड़बड़ है जो बिना कुछ प्रयास किए मुझे यह सब मिल रहा हैI उसके अपने खाने-पीने के ऊपर शक करने की देर थी कि सारी खाने पीने की चीजें वहां से गायब हो गएI यह देखकर उस व्यक्ति का शक और भी गहरा हो गया और उसे लगने लगा कि ऐसा तो नहीं होगा कि इस पेड़ में कोई भूत प्रेत होंगेI क्योंकि यह तो एक कल्पवृक्ष था तो यह इच्छा भी पूरी हो गई और वहां भूत प्रेत हाजिर हो गएI भूत प्रेत को देखकर व्यक्ति डर गया और उसे लगने लगा कि यह भूत प्रेत अब उसे मार डालेंगेI बिल्कुल वैसा ही हुआ और भूत प्रेत उस व्यक्ति के पीछे दौड़ कर उसे डराने लगे और अंत में मार डालाI इस बात से यह पूरी तरह साबित हो जाता है कि यदि हमारे मन के अंदर बुरी सोच आने लगती है तो वह हमारे सुनहरे भविष्य को भी अंधकार में ही तब्दील कर देती है I मन को मजबूत बनाना तथा उसे मजबूत बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती होती है और इस चुनौती पर खरे उतरने वाले इंसान को दुनिया में सफलतम इंसानों की श्रेणी में आने से कोई रोक नहीं सकता है I विभिन्न प्रकार के प्रलोभन और दुनिया के तरह-तरह के चक्रव्यूह युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित करते रहते हैं और कई बार शार्ट-टर्म लाभ के चक्कर में वे अपने पूरे जीवन में प्राप्त हो सकने वाली अभूतपूर्व ऊंचाई को कंप्रोमाइज कर जाते हैंI
इंसान के मन की ताकत उसे दुनिया में सबसे ऊंचा मुकाम दिला सकती है तो उसे फर्श पर भी ला सकती है I एक बार भारत के एक वैरागी संत को किसी ने कहा कि तिब्बत देश में एक बहुत पहुंचे हुए महात्मा है और यदि आप उनके पास जाकर उनसे प्रार्थना करें तो वह आपको कोई ऐसी विद्या बता सकते हैं जिसके आधार पर आप बहुत जल्दी मोक्ष जैसी सिद्धि पा सकते हैंI उस वैरागी संत ने इस बात को आजमाने का निर्णय लिया और हिमालय के पर्वतों को पार करता हुआ तिब्बत जा पहुंचाI महात्मा तक पहुंचने के बाद उनकी बहुत ज्यादा मिन्नतें की और उनसे अपनी तपस्या को और अधिक कारगर बनाने के उपाय बताने के लिए कहने लगाI उस व्यक्ति के मन की गहराई को जान चुके थे और इसलिए उन्होंने कुछ दिन उस व्यक्ति को अपने यहां रखने के बाद किसी दिन बुलाया और कहा- “बेटा! जो भी तपस्या तुम पहले से भारत में कर रहे थे तुम उसी को जारी रखोI बस तुम्हें एक ही बात का ध्यान रखना है कि जब तुम तपस्या करो तो तुम्हारे मन के किसी भी कोने में ‘बंदर’ का ख्याल नहीं आना चाहिए”I उस वैरागी संत को विश्वास नहीं हुआ कि इतनी आसानी से उसे अत्यधिक सफलता का मार्ग मिल जाएगा और वह खुशी-खुशी भारत लौट आयाI उसने जिस काम को आसान समझ लिया था वह काम तो वास्तविकता में बहुत ही दुष्कर साबित हुआI हुआ यह कि वह जब भी तपस्या करने के लिए बैठता तो उसे तिब्बत के महात्मा की बंदर वाली बात याद आ जाती और वह तपस्या कर ही नहीं पाता थाI हमारी सोच का यही हाल होता है और जिस चीज को हम अपने आप से दूर करना चाहते हैं, वही चीज हमारे मन के साथ रात दिन चिपक जाती हैI
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