कहते हैं सरकार के आंख और कान खुले हों, तो सफल सुशाशन की परिकल्पना साकार की जा सकती है। ब्यूरोक्रेसी में सरलता, विनम्रता और सहजता के साथ समस्याओं को सुनने-समझने की क्षमता लगातार बढ़ रही है। युवा IAS भी अपनी परिपक्वता का परिचय दे रहे हैं।
ताज़ा मिसाल हैं जयपुर के जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित। IAS Prakash Rajpurohit गुरूवार को जन-सुनवाई कर रहे थे। करीब 211 फरियादियों ने उन्हें अपनी व्यथा सुनाई, जिनमें से 16 को तुरंत समाधान भी मिला। लेकिन हर कोई उस वक़्त चोंक गया जब कलेक्टर कुर्सी पर बैठे थे और फरियादी उनकी टेबल पर।
42 वर्षीय दिव्यांग फरियादी ओमप्रकाश कुमावत स्कूटी नहीं मिलने की फरियाद लेकर कलेक्टर के पास आये थे। कद-काठी कम होने के चलते उनकी बात कितनी स्वच्छता के साथ कलेक्टर तक पहुंचती उसको IAS Prakash Rajpurohit भांप गए। उन्होंने ससम्मान ओमप्रकाश को अपनी टेबल पर बैठाया और पूरी विनम्रता के साथ बात सुनी। कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने तत्काल अधिकारियों को निर्देशित किया और प्रशासन की आंख, नाक, कान खुले हैं बिना एक शब्द बोले भी यह मैसेज पूरे सिस्टम को डिलीवर कर दिया।
Prakash Rajpurohit मूलत: बाड़मेर जिले के रहने वाले हैं। वे इससे पहले जिला कलक्टर बांसवाड़ा, हनुमानगढ़, जोधपुर, अलवर और अजमेर जिले के कलक्टर रह चुके हैं। साथ ही महत्वकांक्षी परियोजना जल जीवन मिशन के मिशन डायरेक्टर भी रह चुके हैं।
3 सितंबर 2013 को उन्होंने अपनी पहली पुस्तक रिलीज़ करने की पोस्ट भी ब्लॉग पर शेयर की थी। हालांकि कामकाजी व्यस्तताओं के चलते अब ब्लॉगिंग को ज्यादा समय नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन एक बात साफ है राजपुरोहित अपने काम, विनम्रता, व्यवहारकुशलता और सक्रियता से दिल जीतना जानते हैं।
2003 में IIT JEE में ऑल इंडिया 4th और UPSC में ऑल इंडिया 2nd रैंक क्रैक कर चुके राजपुरोहित IIT दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर चुके हैं। Prakash Rajpurohit 2010 बैच के IAS हैं और अपने दूसरे ही एटेम्पट में उन्होंने पूरे देश के दूसरा स्थान हासिल किया था। ब्लॉगिंग के जरिये और पर्सनल कॉउंसलिंग में इस युवा अधिकारी ने युवाओं के लिए सहयोग की कड़ी से कड़ी जोड़ने का काम किया है, जो उन्हें औरों से अलग बनाता है।
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