वो बोलते हैं, तो शब्दों की झनझनाती माला के सूत्र बंधते नजर आते हैं। वो लिखते हैं, तो शब्द बोल उठते हैं। उनकी भाषा, कोष से नहीं दिल से निकलती है। वाणी से शब्दों की मिठास और कलम से शब्दों का संकलन उनकी सरलता बतलाता है। ऐसे ही हैं राजस्थान काडर के चर्चित साहित्यकार और IAS Dr Jitendra Soni . हनुमानगढ़ की उपजाऊ माटी में पले-बढ़े माटी के लाल जितेन्द्र जहां-जहां रहे दिलों पर गहरी छाप छोड़ते चले। फिलहाल अलवर जिला कलक्टर हैं और उन्हें चर्चित मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार मिलने जा रहा है।
IAS Dr Jitendra Kumar Soni की कथाकृति 'भरखमा' के लिए उन्हें राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृत अकादमी, बीकानेर की ओर से वर्ष 2022-23 का मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार मिलना गर्व की अनुभूति से भरपूर है। प्रकृति से बेहद करीब, फोटोग्राफी के शौकीन, काम के जुनूनी और लेखन के दीवाने IAS सोनी अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच सालों से लेखन को पर्याप्त समय दे रहे हैं। उनकी उम्मीदों के चिराग, हिंदी कविता संग्रह रेगमाल, राजस्थानी कविता संग्रह 'रणखार', राजस्थानी कहानी संग्रह 'भरखमा', हिंदी डायरी यादावरी, हिंदी कहानी संग्रह 'एडियोस' और पंजाबी कविता संग्रह का राजस्थानी अनुवाद 'म्हारै पांती रा पाना' खास चर्चित हैं। सोनी ने रस्किन बॉण्ड के अंग्रेजी कहानी संग्रह का राजस्थानी में अनुवाद भी किया है। इस 'देहरा मांय आज ई उगै है आपणा रूंख' कहानी संग्रह को साहित्य अकादमी से पुरस्कृत भी किया जा चुका है। महात्मा गांधी के शिक्षा का मध्यम विषय पर लिखे हुए लेखों का संचय और अनुवाद 'भणाई रो मारग' समेत सोनी डॉ. मनमोहन सिंह के साहित्य अकादमी से पुरस्कृत पंजाबी उपन्यास का हिंदी अनुवाद 'निर्वाण' के शीर्षक से कर चुके हैं।
सोनी लीक पीटने वाले अधिकारी नहीं हैं। वह नवाचारों से भरपूर और आखरी व्यक्ति तक शासन की पहुंच को सुनिश्चित करने की क्षमता वाले अधिकारी हैं। अपनी कामकाजी व्यस्तताओं के बीच चरण पादुका योजना के जरिए लाखों बच्चों को जूते-चप्पल पहना चुके हैं। पाली कलक्टर रहते रक्तकोष फाउंडेशन के ग्रुप बनाए। राजस्थान के आधे से ज्यादा जिलों समेत मुंबई, अहमदाबाद और कई बड़े महानगरों में रक्तकोष फाउंडेशन गु्रप की पहुंच बनाकर हजारों जरूरतमंदों की मदद कर चुके हैं। नवाचारों को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पुरस्कृत हुए हैं। नागौर में कोरोना को मात देने के लिए टीकाकरण का रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं।
डॉ. सोनी के लिए कहने को, लिखने को बहुत कुछ है। लेकिन सही मायने में डॉ. जितेन्द्र सोनी को शब्दों में समेटना मुश्किल भरा है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकले हैं, इसलिए जमीन पर पकड़ है। गुरुजनों के आशीवार्द का सम्मान आज भी भरपूर करते हैं, इसलिए स्वयं गुणों का संग्रह बनते जा रहे हैं। अपनी भाषा, अपने लोग और अपने प्रदेश की कद्र जानते हैं, इसलिए खुद एक व्यक्ति नहीं संस्था की तरह हैं। बहरहाल डॉ. जितेन्द्र सोनी की सम्मान श्रृंख्ला में मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार का जुडऩा उनकी काबिलियत के कंधों पर एक और सितारा सजने जैसा है।
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