राउंड टेबल इंडिया के प्रोजेक्ट के जरिए सरकारी स्कूलों के जरूरतमंद बच्चों को मिला जीवन की सबसे रोमांचक उड़ान का मौका
जयपुर। छुट्टी का दिन और फ्लाइट की फेंटेसी, दोनों ही उत्साह और उमंग को कई गुना बढ़ाने वाले हैं। हवा में उडऩा, रोमांच महसूस करना, ऊंचाई से दुनिया देखना और सपनों की उड़ान को जीने का दूसरा नाम है राउंड टेबल इंडिया का फ्लाइट ऑफ फेंटेसी प्रोग्राम। एक ऐसा प्रोग्राम जो उड़ान भरने वाले साधारण, जरूरतमंद बच्चों की क्षमता और संभावनाओं नए पंख दे रहा है। छह साल से लगातार अभावग्रस्त बच्चों को हवाई जहाज की सैर करवाने और दिल्ली दर्शन की मुहिम सपनो की जादुई दुनिया को जीने जैसी है।
जिन्होंने कभी हवाई जहाज को करीब से भी नहीं देखा और उसमें बैठना तो एक सपने जैसा ही है, ऐसे जरूरतमंद स्कूली बच्चों के लिए 6 सालों से फ्लाइट ऑफ फेंटेसी प्रोग्राम वरदान बनकर उभरा है। हर साल की तरह रविवार सुबह जयपुर के 50 स्कूली बच्चों ने डबल डेकर ट्रेन से दिल्ली की रवानगी ली। राउंड टेबल इंडिया के इस प्रोग्राम के तहत बच्चों को इंडिया गेट, कुतुब मिनार, राष्ट्रपति भवन म्यूजियम और दिल्ली दर्शन का मौका मिला। शाम वापसी हुई, तो सपनो की उड़ान के साथ। दिल्ली दर्शन के बाद बच्चों को दिल्ली से जयपुर जीवनभर की याद छोडऩे वाली हवाई यात्रा करवाई गई। फ्लाइट ऑफ फेंटेसी में इस वर्ष 12 से 18 साल के सभी 50 बच्चे राजस्थान के 4 सरकारी स्कूल और एक बधिरता स्कूल से शामिल किए गए। छठी से 11वीं कक्षाओं के यह सभी बच्चे राउंड टेबल इंडिया एफटीई स्कूल्स से संबंधित हैं जहां पर मुख्यधारा से पीछे छूट रहे बच्चों के समग्र विकास के लिए राउंड टेबल इंडिया शिक्षा क्षेत्र में अहम योगदान दे रहा है। इस बारे में राउंड टेबल इंडिया जेपीआरटी के चेयरमेन डॉ. करमदीप कहते हैं, 'राउंड टेबल इंडिया बहुआयामी प्रोग्राम्स के जरिए जरूरतमंद स्कूली बच्चों के समग्र विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। फ्लाइट ऑफ फेंटेसी भी इसी का एक हिस्सा है। इससे बच्चों के बौद्धिक विकास में तो मदद मिल ही रही है, बचपन को हम सही दिशा भी दे पार रहे हैं।'
छह सालों में मुख्यधारा से पिछड़े सैंकड़ों बच्चों को फ्लाइट ऑफ फेंटेसी में शामिल कर चुके रजत बोहरा के कहते हैं, 'यह प्रोग्राम शुद्ध ज्ञान और रोमांच का संगम है। जिन बच्चों ने जयपुर के बाहर कोई बड़ा शहर नहीं देखा वो हवाई जहाज की यात्रा करते हैं, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट और दिल्ली दर्शन करते हैं, यह उनके लिए जीवनपर्यंत सबसे यादगार अनुभवों में से एक बनता है।' इसी क्रम में राउंड टेबल इंडिया से जुड़े प्रतीक अग्रवाल ने भी अपने अनुभव साझा किए। प्रतीक के मुताबिक, 'फ्लाइट ऑफ फेंटेसी के जरिए शिक्षा के साथ समग्र विकास का उद्देश्य लेकर राउंड टेबल इंडिया की टीम मजबूती से जुटी हुई है। हम फ्लाइट ऑफ फेंटेसी जैसे प्रोग्राम्स के जरिए न केवल समाज में समरसता और एकता को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि नैतिक, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि पर भी बच्चों को मजबूत करने में कामयाब हो रहे हैं और यही सच्ची सफलता है।' राउंड टेबल इंडिया के ही मोरिया फिलिप कहते हैं, 'बच्चों के यह जादुई दुनिया घूमने जैसा सफर है। सरकारी स्कूलों की पृष्ठभूमि, मुख्यधारा से बहुत पीछे छूट रहे जीवन की रोजमर्रा जिंदगी के बीच इन बच्चों को जो अनुभव मिल रहे हैं, यह निश्चित ही इनके भविष्य निर्माण में अहम योगदान देने वाले साबित होंगे। बच्चे समझ पा रहे हैं कि स्कूल, किताबों, मुहल्ले और शहर से बाहर भी एक दुनिया है, जिसमें अपार संभावनाएं हैं।'
क्या है फ्लाइट ऑफ फेंटेसी
राउंड टेबल इंडिया की राष्ट्रीय परियोजना का अहम हिस्सा है फ्लाइट ऑफ फेंटेसी। इस योजना का उद्देश्य सुविधाओं से वंचित रहे छात्र-छात्राओं की जिंदगी और मन-मस्तिष्क पर भविष्य की संभावनाओं को जगाना है। अनुभव से सीखना और सिखाना है। स्कूलों में शिक्षण-प्रशिक्षण में अभावग्रस्त हालातों का सामना करते हुए जो कमियां रह जाती हैं, उन्हें पूरा करना है। अभावों में गुजर-बसर करने वाले छात्र-छात्राओं के बीच उन बड़ी संभावनाओं से रूबरू करवाना है, जिनका सपना भी उनके लिए मुश्किल है। यह साधारण उड़ान नहीं, उनके सपनों की उड़ान है। उनके लिए अजूबों की दुनिया की यादगार सैर है। ऐसी सैर जिससे वह अपने जीवन में उड्डयन उद्योग को ही नहीं, बल्कि दुनिया में उम्मीदों से बाहर देख पाएं। अजूबों की दुनिया को जी पाएं।
राउंड टेबल बना शिक्षा का विशाल वटवृक्ष
राउंड टेबल इंटरनेशनल की स्थापना 1962 में की गई थी। इसके संस्थापकों में 18-40 वर्ष के ऐसे यंग अचीवर्स शामिल थे, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कायम करते हुए सामाजिक सहभागिता और व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता दी। विश्व के कई देशों के साथ भारत में भी राउंड टेबल इंडिया के अंतर्गत संगठन बेहद सफल रहा। भारत में राउंड टेबल इंडिया के अंतर्गत बीते 15 सालों में 2172 स्कूलों और 5377 कक्षाओं का निर्माण करवाया गया। करीब 179 करोड़ रुपए की लागत की इन परियोजनाओं से देश के शिक्षा जगत में आधार स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ा। जिससे सीधे तौर पर सुविधाओं से वंचित 51.50 लाख छात्र-छात्राओं को बड़ा लाभ मिला। वर्ष 1998 में राउंट टेबल इंडिया ने राष्ट्रीय परियोजना के तौर पर फ्रीडम थ्रू एजुकेशन का बीड़ा उठाया और समाज पर गहरा असर छोड़ा। राउंड टेबल फिलहाल विश्व के 67 देशों के 95 शहरों में अपने 4000 सदस्यों के साथ मुख्यधारा से पिछड़े लोगों की जिंदगी में अहम योगदान दे रहा है।
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