लक्षद्वीप। जुनूनी लोग अपनी तकदीर खुद लिखते हैं। उन्हें हालात और परिस्थितियां हरा नहीं पाते। आर्थिक और सामाजिक विकटताएं तोड़ नहीं पाती। तमाम जद्दोजहद के बाद वक्त आता है, जब सब कुछ बदल जाता है। जरूरत होती है, तो बस धैर्य के साथ अपने लक्ष्यों पर फोकस करने की। इसी फोकस ने 2016 बैच में मणिपुर को पहला आईएएस अफसर दिया। IAS Asker Ali मणिपुर के छोटे से समुदाय मीतेई-पंगल से आते हैं। यह समुदाय सदियों से हाशिये पर खड़ा रहा है। संघर्ष करता रहा है। प्रदेश की आबादी का मात्र 8 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन सालों-साल तक पिछडऩे का दर्द अब Asker की सफलता से दबने लगा है।
अपनी कामयाबी और आईएएस बनने तक के सफर को लेकर लक्षद्वीप के जिला कलक्टर Asker Ali कहते हैं, 'जब मैं नौवीं में था, तो पहली बार आईएएस बनने का सपना देखा। घर-परिवार और आसपास का माहौल मेरे इस सपने को सपोर्ट करने वाला नहीं था। मैं मां-पिताजी के साथ खेती करता था और 9वीं की पढ़ाई भी साथ-साथ करता था। सपना बड़ा था, लक्ष्य कठिन, हालात भी पक्ष में नहीं थे, लेकिन मैंने ऐसी तमाम परिस्थितियों के विपरीत खड़े होकर अपने सपने को मरने नहीं दिया। लोगों ने मेरे हौसलों पर संदेह किया, लेकिन मैंने हार नहीं मानी।'
मणिपुर में मीतेई-पंगल समुदाय के हालात और परिस्थितियों की चर्चा करते हुए IAS Asker कहते हैं, 'हमारे समुदाय में शिक्षा के माध्यम से तरक्की कभी प्राथमिकताओं में नहीं रही। प्रदेश में मीतेई-पंगल की आठ प्रतिशत आबादी में शायद ही कोई आईएएस बनने का सपना देखे। लेकिन मुझे बनना था, तो मैं कॉलेज की पढ़ाई के लिए मणिपुर से दिल्ली आ गया। यूपीएससी की तैयार में लगा, तो चुनौतियां भी बहुत थी। इतना पैसा नहीं था कि तैयारी जारी रख सकूं। बस जैसे तैसे काम चलाया, लेकिन कभी भी अपना फोकस नहीं छोड़ा। आज मैं यहां तक पहुंचा हूं यह केवल मेरे या मेरे परिवार के लिए फख्र की बात नहीं है, बल्कि हमारे पूरे मीतेई-पंगल समुदाय के लिए बदलाव की शुरूआत है। मैं जीता-जागता उदाहरण हूं इस बात का कि शिक्षा कैसे एक व्यक्ति का पूरा जीवन बदल देती है और उसे एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाती है।'
मणिपुर से IAS बनने और देश सेवा के बड़े मंच पर पहुंचने को लेकर अस्कर कहते हैं, 'आप कौन हैं और कहां से आए हैं, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। हम विविधताओं के बीच तरक्की के बेहतर रास्तों को खोज पाते हैं। जब हम सबको साथ लेकर चलते हैं, तो हम एक राष्ट्र बनते हैं, ताकत बनते हैं। युवा आईएएस अस्कर लक्षद्वीप में अपने कामकाज और अपने व्यक्तित्व से खास पहचान बना चुके हैं। यहां की शासन व्यवस्था और जनसहभागिता से विकास को नई उड़ान देने में कामयाब रहे हैं। भले ही अपने प्रदेश से दूरी है, लेकिन अपने देश के लिए बहुत कुछ कर पाने का गर्व उन्हें है।'
इस बात में कोई दो राय नहीं कि सपने और उन्हें जीतने का हौसला हमें ज्यादा सक्षम बनाता है। अस्कर मिसाल हैं, उन युवाओं के लिए जिनकी सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक परिस्थितियां साथ नहीं देती, लेकिन फिर भी वह बड़ी कामयाबी के लिए जद्दोजहद में जुटे रहते हैं। इसी जद्दोजहद से तो देश को Asker ali सरीखे जुनूनी IAS मिल पाए हैं।
- प्रवीण जाखड़
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