अपने पहले ही प्रयास में मात्र 18 अंकों से मुख्य परीक्षा में पिछडऩे वाली हरिता वी. कुमार आज भारत की सर्वोच्च सेवा में सर्वाधिक अंक हासिल कर चुकी हैं। सिविल सेवा परीक्षा 2012 में हरिता टॉपर रही हैं और हरिता प्रबलता से इस बात का समर्थन कर रही हैं कि वाकई सपने सच होते हैं।
मूलत: तिरुवनन्तपुरम, केरल की रहने वाली हरिता फिलहाल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कस्टम्स, एक्साइज एण्ड नारकोटिक्स, फरीदाबाद में आईआरएस ऑफिसर की टे्रनिंग ले रही हैं। हरिता के अनुसार इस समय देश के सामने चार मोटी समस्याएं हैं, जिनसे हमें सबसे पहले जूझना आवश्यक है। भ्रष्टाचार, गरीबी, महिला सुरक्षा और बेरोजगारी। इन चारों का सामना अगर हम मिलकर कर पाए, तो सही मायने में सफल लोकतंत्र की स्थापना कर पाएंगे। वे कहती हैं कि उनके कामकाजी जीवन में इन चारों मुद्दों को प्राथमिकता पर रखते हुए, लोगों की मदद करेंगी।
इधर तिरुवनन्तपुरम में हरिता के परिवार वालों से मिलने का तांता लगा हुआ है। लोग बड़े पैमाने पर बधाईयां पहुंचा रहे हैं। बेटी की सफलता से बेहद खुश हरिता के पिता आर. विजयकुमार के अनुसार हरिता ने योजनाबद्ध तरीके और समर्पित भाव से जो तैयारी की उसका परिणाम मिला है, जो सुखद है और हमें गर्व है कि हमारे परिवार का नाम हरिता ने पूरे देश में रौशन किया है। 2007 में स्नातक पास करने वाली हरिता ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए अर्थशास्त्र और मल्यालम विषय चुने थे और सिविल सेवा परीक्षा में पहली बार 2009 में प्रयास किया था। यह हरिता का चौथा प्रयास था।
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