हमारी प्लानिंग, युवा भारत के लिए - प्रदीप के. अग्रवाल



बीएसएनएल जयपुर के प्रधान महाप्रबंधक प्रदीप के. अग्रवाल से ऑप्टिकल फाइबर तकनीक पर विशेष बातचीत के चुनिंदा अंश-

आप किस फार्मूले पर काम कर रहे हैं?
फाइबर टू द होम। यह नेक्स्ट जनरेशन हाई स्पीड तकनीक है। 2003 में मैं पहली बार इससे कुवैत में रूबरू हुआ। यहां वेव-7 ऑप्टिक्स जो यूएस की कंपनी है के साथ हमने 100 घरों में इसके सफल प्रयोग की कामयाबी देखी। इस दौरान मैं टेलीकम्यूनिकेशन कंसलटेंट्स इंडिया लिमिटेड में था। यह तकनीक एक ही तार के जरिए कई सुविधाएं देने में सक्षम है। यह फार्मूला आने वाले वक्त में टेलीकॉम और टीवी सैटेलाइट इंडस्ट्री की तस्वीर बदल कर रख देगा।
मतलब यह तकनीक हमें विकसित देशों के बराबर खड़ा करने में कामयाब होगी?
ऑप्टिकल फाइबर को लेकर पूरी दुनिया में काम हुआ है। जापान की ही बात करें, तो वहां 90 फीसदी से ज्यादा घरों तक ऑप्टिकल फाइबर की पहुंच बन चुकी है। फाइबर के जरिए अच्छी बैंडविथ मिलती है। इसी से हाई डेफिनेशन टीवी देखा जाना संभव है।
3जी तकनीक को बढ़ावा देने के लिए क्या कर रहे हैं?
हमारी योजनाएं 3जी पर पूरी तरह फोकस करने वाली हैं। यही वजह है कि हम इसे निरंतर बढ़ाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं। इसी साल राजस्थान में हम 12 लाख उपभोक्ताओं की क्षमता को हम विकसित करेंगे। ...और यही इकलौती तकनीक है, जिससे टोटल क्लीयर वॉइस, हाईस्पीड इंटरनेट और बेहतरीन रिजॉल्यूशन में आईपी टीवी एक ही तार के जरिए घर में उपयोग लिए जा सकते हैं। यह विदेशों में बेहद पॉपुलर है, जिसे हम बाजार में पूरी तरह लाकर हलचल मचाने वाले हैं। आने वाले वक्त में बीएसएनएल का मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर इस तकनीक की सफलता का प्रमाण साबित होगा।
जयपुर में ऑप्टिकल फाइबर पर किस गति से काम हो रहा है?
हमने 400 इमारतों को इससे कनेक्ट कर दिया है। मार्च 2010 में हमने इस काम को हाथ में लिया था और दो साल के परिणाम देखें, तो हमने 1500 कनेक्शन का लक्ष्य छूकर देश में पहला स्थान हासिल किया है। इस मामले में हमने मुंबई और बंगलुरू जैसे शहरों को भी पछाड़ा है। सीधे तौर पर कहें, तो इस तकनीक की योजना को अमलीजामा पहनाने में जयपुर बीएसएनएल देश में फिलहाल नंबर वन रहा है।
ग्रामीण भारत को तकनीक से जोडऩे के लिए क्या योजनाएं हैं?
हमारी योजना गांवों में वर्चुअल क्लासरूम लाने की है। इसके लिए बीएसएनएल पूरी गंभीरता से जुटा हुआ है। अमेरिका, चीन जैसे देश अपने नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को बना चुके हैं। आने वाले समय में इसी तकनीक से हमारे देश में भी पंचायतों को जोड़ा जाएगा। इसके लिए बीएसएनएल देशभर में ढाई लाख गांवों को लेकर काम कर रहा है। इससे देश के किसी भी क्लासरूम को हम गांवों से कनेक्ट करने में कामयाब होंगे।
...लेकिन यह तकनीक आम आदमी की पहुंच में कैसे संभव होगी?
हम तकनीक के साथ-साथ इसके टैरिफ को लेकर भी जुटे हुए हैं। अफोर्डेबल कॉस्ट में यह योजना आम आदमी तक पहुंचाई जाएगी।
कलाम की 2020 के भारत की परिकल्पना में टेलीकॉम इंडस्ट्री को कहां पाते हैं?
2020 तक तकनीक पूरी तरह बदल चुकी होगी। हम लगभग पूरी तरह ऑप्टिकल फाइबर पर शिफ्ट हो चुके होंगे। जैसा विकसित राष्ट्रों में हो रहा है। जिस तरह गरीब और अमीर के बीच एक खाई है, वैसी ही खाई आज डिजिटल वल्र्ड में है। इसे डिजिटल डिवाइड बोला जा रहा है। शहरों में हाई स्पीड इंटरनेट है, वहीं गांव अब तक कनेक्ट तक नहीं हो पाए हैं। यह डिजिटल डिवाइड की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी। जो सेवा आपको दिल्ली, जयपुर में मिल रही होगी, वही आपको ठेठ ग्रामीण भारत में भी मिलेगी।
आपकी नजर में किसी तकनीक की कामयाबी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी क्या है?
मुझे लगता है हमें अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत बनाते हुए आगे बढऩे की जरूरत है। सही मायने में तकनीकी विकास के सफर को बारिकी से खंगालेंगे, तो आप पाएंगे कि वाकई इंफ्रास्ट्रक्चर डेवल्पमेंट ही एकमात्र ऐसा जरिया है, जिससे हम मजबूत नीव के साथ उभर सकते हैं। वैसे भी हमारी प्लानिंग युवा भारत के लिए है। युवाओं की फास्ट फॉरवर्ड जनरेशन को उनकी अपेक्षा से बेहतरीन सेवाएं अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर से ही देना संभव होगा।

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