13 लाख सिपाहियों और हजारों की तादात में सैन्य अफसरों की कमान अब बिक्रम सिंह के हाथों में आ गई है। सिक्ख लाइट इंफैंट्री से ताल्लुक रखने वाले बिक्रम सिंह की बतौर थल सेनाध्यक्ष ताजपोशी दबावभरी मानी जा रही है।
सिंह की ताजपोशी के साथ ही इस बात को लेकर भी सुर्खियां तेज हो गई हैं कि क्या सिंह इस दबाव भरे माहौल में अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे। इस सवाल के पीछे अहम कारण है सिंह पर लगे आरोप। सिंह पर फिलहाल दो मुकदमे चल रहे हैं, जिनमें से एक उनके पक्ष में जा सकता है, लेकिन अगर दूसरा विपक्ष में गया, तो संभवत: उन्हें 31 जुलाई 2014 को पूूरा होने जा रहा कार्यकाल बीच में ही छोडऩा पड़े। सिंह के खिलाफ फर्जी मुठभेड़ का मामला जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में चल रहा है, जिसके लिए माना जा रहा है कि इसका फैसला सिंह के पक्ष में आएगा। लेकिन दूसरे मुकदमे में सिंह का नाम कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में भी चल रहा है। यह मामला डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो में संयुक्त राष्ट्र की मिशन के कमाण्डर के तौर पर सिंह पर चल रहा है, जिसमें आरोप हैं कि 60 भारतीय सैनिकों ने यहां अनुशासन भंग किया, ब्लात्कार और यौन शोषण में शामिल रहे। विशेषज्ञों की मानें, तो यह मामला सिंह के खिलाफ जा सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो निश्चित तौर पर सिंह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे।
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