चयन समिति के संयोजक दलीप सरावग ने बताया कि पुरस्कार चयन के लिए गठित समिति में वरिष्ठ समाजसेवी हनुमान कोठारी, शिक्षाविद प्रो. हनुमानाराम ईसराण, उम्मेद गोठवाल, भंवरलाल कस्वां सिरसली एवं साहित्यकार दुलाराम सहारण ने सर्व सम्मत फैसला किया कि वर्ष 2021 के लिए यह पुरस्कार स्वामी गोपालदास के नक्शे कदम पर खासकर शिक्षा एवं सामाजिक उत्थान के लिए काम कर रहे सीगड़ी-झुंझुनू मूल के डाॅ. घासीराम वर्मा को दिया जाए।
समिति संयोजक सरावग ने बताया कि शनिवार 9 जनवरी को प्रातः 11 बजे स्वामी गोपालदास की पुण्यतिथि पर गढ के आगे सर्वहितकारिणी भवन चैक स्थित स्वामी गोपालदास की मूर्ति परिसर में आयोजित कार्यक्रम में डाॅ. वर्मा को यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार स्वरूप ग्यारह हजार रुपये नगद, शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिह्न दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि टीवीएस, चूरू के भंवरलाल राकेश कुमार कस्वां के आर्थिक सौजन्य से प्रदत्त यह वार्षिक पुरस्कार इससे पहले वर्ष 2019 के लिए इतिहासकार गोविंद अग्रवाल तथा वर्ष 2020 के लिए सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्रता सेनानी चंदनमल बहड़ को प्रदान किया जा चुका है।
शिक्षा संत हैं डाॅ. घासीराम वर्मा
1 अगस्त 1927 को झुंझुनू के छोटे-से गांव सीगड़ी के किसान परिवार में जन्में घासीराम वर्मा अभावों एवं संघर्षों में पले-बढ़े। प्रतिभावान घासीराम ने अपना अध्ययन छात्रवृत्ति और मित्रों के सामूहिक आर्थिक सहयोग से पूर्ण किया। किसान परिवार के अभावों के बीच माता-पिता की पढ़ाने की ललक तथा अपने ध्येय पर निरंतर अडिग घासीराम आगे से आगे बढ़ते रहे और अंततः अमेरिका के रोडे विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर हुए। इसी उपलब्धि के बीच उनका सामाजिक योगदान तब जुड़ा जब उन्होंने अपने जैसे गरीब और संघर्षशील बच्चे-बच्चियों को प्रोत्साहन देने का सोचा। महिला शिक्षा के अपने व्यापक दृष्टिकोण के बीच वर्मा ने अपना लगभग वेतन सामाजिक उत्थान को समर्पित कर दिया और जीते-जी ‘करोड़पति फकीर’ बन गए। डाॅ. वर्मा उसी सेवा भाव से आज भी सक्रिय हैं और अपने वेतन एवं पेंशन से लगभग दस करोड़ रुपये से अधिक समाज को सौंप चुके हैं। डाॅ. वर्मा अंचल की विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक संस्थाओं को आज भी प्रतिवर्ष अपनी आया का लगभग आधा पैंसठ लाख रुपये समर्पित करते हैं। सही मायने में एक अध्यापक का यह सामाजिक सरोकार निःसंदेह प्रंशसनीय ही नहीं, उल्लेखनीय भी है।
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