जयपुर। राजस्थान में शिक्षा का प्रसार भले ही अब तेजी से हो रहा है, लेकिन बाल विवाह जैसी समस्या आज भी बनी हुई है। इस समस्या को हल करने में यूं तो सरकार के सभी संसाधन काम आ रहे हैं, लेकिन तकनीक के इस्तेमाल से किया गया एक प्रयोग 'नौबत बाजा रेडियो मिस्ड काॅल वाला' की तरफ से भी एक प्रयास किय जा रहा है। मोबाइल फोन और रेडियो चैनल को आपस में जोड़ कर शिक्षा व मनोरंजन का एक ऐसा माध्यम विकसित किया गया है जो नाटक, प्रेरक कहानियों आदि के माध्यम से पूरे प्रदेश में बाल विवाह और ऐसी ही अन्य समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करने मे मदद कर रहा है।
किशोरों और किशोरियों पर व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामजिक स्तर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के लिए लैंगिक समानता जैसे विषयों पर गहराई से काम करने की जरूरत है। राजस्थान के कई जिलों में बाल विवाह की समस्या है और इन्हे रोकने के लिए बाल विवाह निरोधक कानून भी बनाए गए हैं। इसके बावजूद इस पर प्रभावी रोक नहीं लग पा रही है।वर्ष 2017 में आए नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे 4 (एनएफएचएस 4) के अनुसार राजस्थान में 35 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है। यहां बाल विवाह जैसी समस्याओं ने समाज पर गहरा विपरीत प्रभाव डाला है और यह अभी भी जारी है। इन स्थितियों के विभिन्न कारण हैं जैसे शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और किशोरों, किशोरियों और महिलाओं केा अपने अधिकारों की जानकारी ना होना आदि।
बाल विवाह को रोकने के लिए राजस्थान सरकार ने यूएनएफपीए और युनिसेफ के साथ मिल कर एक 'साझा अभियान' नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया है। इसके अलावा 'एसएजी' (SABLA - Rajiv Gandhi Adolescent Scheme जैसे कार्यक्रम भी चल रहे हैं। किशोरों के स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय किशोर किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम भी चल रहा है। इसके अलावा व्यवसायिक प्रशिक्षण, शिक्षा, आजीविका आदि के लिए भी कई कार्यक्रम चल रहे हैं। इन समस्याओं के बारे में युवाओं को जागरूक करने के लिए ही राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आठ मार्च को एक अनूठे मोबाइल रेडियो प्रोजेक्ट नौबत बाजा रेडियो मिस्ड काॅल वाला की शुरूआत की थी। राज्य सरकार, राजस्थान रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन काॅरपोरेशन फाउंडेशन और यूएनएफपीए ने मिल कर यह प्रोजेक्ट शुरू किया है और इसका संचालन जीवन आश्रम संस्था द्वारा किया जा रहा है। काॅलर को सिर्फ 7733959595 नम्बर पर मिस्ड काॅल देनी होती है। मिस्ड काॅल जाने के कुछ समय बाद काॅलर के पास दूसरे नम्बर से काॅल आता है। इस काॅल में 15 मिनिट तक पसंदीदा गीत या कोई मनोरंजक कार्यक्रम सुनाने के साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, बाल विवाह, स्वच्छता जैसे अनेक विषयों पर कोई संदेश भी दिया जाता है।
जीवन आश्रम संस्था की संस्थापक राधिक शर्मा ने बताया कि नौबत बाजा रेडियो मिस्ड काॅल वाला के जरिए हम लोगों तक बाल विवाह रोकने का संदेश पहुंचाने पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहे हैं। वैसे भी मोबाइल फोन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किशोर किशोरियां और युवा ही करते हैं और इसके जरिए मार्च 2019 से हमारी कोशिश यही है कि उन तक बाल विवाह के खिलाफ असरदार संदेश पहुंचे और वो खुद इसके खिलाफ आवाज उठाएं। इसके लिए यहां एक विशेष सेग्मेंट 'चुप्पी तोड़ो' भी शुरू किया गया है। इसमें उन किशोर किशोरियों के बारे में बताया जाता है जो बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ खुल कर सामने आए हैं और आवाज उठाई है। ऐसे कुछ और सेग्मेंट और तैयार किए जा रहे हैं। संदेशों के माध्यम से हम समय-समय पर हमारे श्रोताओ के सुझावों को अपने कार्यक्रमों में शामिल भी करते हैं। नौबत बाजा का नम्बर वाॅट्सएप पर भी है। इस पर श्रोता अपने सुझाव दे सकते हैं या किसी अन्य विषय पर जानकारी चाहिए तो उसके लिए भी मैसेज किया जा सकता है।
रेडिया और विशेषकर कम्युनिटी रेडियो सामजिक जागरूकता संदेशों के प्रसार में काफी सहायक सिद्ध हुआ है, लेकिन रेडियो के संदेश सार्वजनिक होते है। उसे सब सुनते हैं। आमतौर पर लोग अपने काम करते हुए उसे सुनते है, ऐसे में जरूरी संदेशों पर ध्यान भी नहीं जाता, लेकिन इस तकनीक की सबसे अच्छी बात यह है कि यह काफी हद तक व्यक्तिगत है। काॅलर फोन करता है और फोन बाद में उसी के पास आता है। यदि किसी कारणवश आपकी काॅल कट जाती है तो दोबारा काॅल वहीं से शुरू होती है। जो कुछ बताया जा रहा है या सुनाया जा रहा है, वह उस काॅलर के लिए ही होता है। ऐसे में सुनने वालों को एक व्यक्तिगत जुड़ाव महसूस होता है और इसका असर सार्वजनिक संदेश के मुकाबले कहीं ज्यादा होता है। यही कारण है कि यह नौबत बाजा रेडियो, मिस्ड काॅल वाला काफी लोकप्रियता हासिल कर चुका है। हर रोज काफी अच्छी संख्या मंे मिस्ड काॅल्स पूरे प्रदेश से आते हैं। इसके प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न स्थानों पर कार्यशालाएं और विभिन्न कार्यक्रम किए जाते हैं। इसका अपना फेसबुक पेज है। यह इंस्टाग्राम पर भी उपलब्ध है और अब इसे वाॅट्सएप गु्रप्स के जरिए प्रचारित करने की योजना भी चल रही है। यही कारण है कि बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं की रोकथाम में इसे काफी उपयोगी माना जा रहा है।
कुल मिला कर यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसने आधुनिक तकनीक का बेहतर और सही दिशा में उपयोग किया है और उस माध्यम को चुना है जो लक्षित वर्ग में काफी लोकप्रिय है। यही इसकी सफलता का राज है।
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